यह लेख भारतीय ज्योतिर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र, सहारनपुर में ४८ आचार्य वाराहमिहिर समारोह के शुभ अवसर पर भारतीय विद्वान् डा॰ के॰वी॰शर्मा के द्वारा पूर्व प्रस्तुत भाषण का संस्कृत रूपान्तर है, जो २७ नवम्बर, १९७९ ई॰ को रामतीर्थ सभाङ्गम् सहारनपुर में आयोजित सातवें वराहमिहिर समारोह में प्रस्तावित था। इसमें परिस्थिति और प्रसंग के अनुसार कुछ बातें दूसरे शब्दों में कही या कुछ जोड़ी गयी हैं। लेख का उद्देश्य है आचार्य वराहमिहिर का रूपरेखा परिचय और साथ ही साथ मौलिक महत्त्वपूर्ण बातों पर ध्यान आकर्षित करना।
फ़िलिप रुचिंस्की