Sztuka

यूरोपीयसाहित्ये पञ्चतन्त्रस्य प्रभावः

यूरोपीयसाहित्ये भारतीयसंस्कृतसाहित्यस्य प्रभावो विद्यते, परन्तु १९ शताब्देः पूर्वं मूलग्रन्थानामप्राप्तिकारणादनूदितग्रन्थमध्यमेन भारतीयरचनान्यागच्छन्ति स्म। अत्र विशेषतः अतिप्रसिद्धग्रन्थविषये पञ्चतन्त्रविषये लेखितुमिच्छामि। पञ्चतन्त्रविषये सर्वे भारतीयजना जानन्ति यत्तस्य स्वरूपं किं, तस्य शीक्षा का, कथारचनाशैली कीदृशी अतस्तद्विषये चर्चास्मिन्लेखे व्यर्था।

सूर्य विज्ञान - श्रीसाम्ब प्रणीत साम्बपञ्चाशिका

“साम्बपञ्चाशिका त्रैपुर्य सिद्धान्त का अपूर्व ग्रन्थ है। इसमें बाह्य गगन स्थित सूर्य एवं भीतर चिद्गगन में आलोकित प्रकाशात्म सूर्य का ऐक्य मुख्य प्रतिपाद्य है। यह वासुदेव भगवान् श्रीकृष्ण के पुत्र जाम्बावती से उत्पन्न श्रीसाम्ब द्वारा विरचित है । इस में ५३ पद्य हैं। स्वात्मविवस्वत् चिदर्क की पचास पद्यों में स्तुति एवं तीन पद्यों में पुष्पिका है। यह परम रहस्यमय आध्यात्मिक गहन ग्रन्थ है। महामाहेश्वर राजानक क्षेमराज ने इस पर संस्कृत भाषा में टीका लिखकर इसके रहस्य को प्रकट करने का प्रयत्न किया है।” - इस तरह वाराणसी के प्रकांड विद्वान् महामहोपाध्याय पं.

Subscribe to RSS - Sztuka